Skip to main content

जीवन चलने का नाम ..!!

"जीवन चलने का नाम "

इंसान के जीवन में कई पहलू होते है जिसमे सुख और दुख एक ऐसा पहलू है, जो जीवन चक्र की भांति हमारे जीवन में आता है और जाता है, जीवन में हमेशा सुख ही सुख हो या हमेशा दुख ही दुख हो, ऐसा नहीं होता। हर रात के बाद जिंदगी की सुबह भी आती है, ऐसा ही हमारा जीवन है। जब सुख के पल आते है तो हमे एहसास ही नही होता कि कैसे जीवन के पल बीत रहे है। किंतु ऐसे ही सुखद पलो में जब दुख का एक कांटा भी हमे चुभता है तो हम विचलित हो जाते है। संघर्षो और कठिनाइयों की एक ठोकर हमे विचलित कर देती है।

संघर्ष और कठिनाइयां हमे जीवन में खूबसूरती प्रदान करती है। हम एक पृथक व्यकित्व के मालिक बनते है।

एक दुकान में, एक व्यक्ति जब खूबसूरत मिट्टी के दिये की प्रशंसा करता है, तो मिट्टी का दीया उस व्यक्ति से कहता है कि मेरी इस खूबसूरती की लंबी दास्ताँ है। जब कुम्हार ने मुझे जमीन से खोदकर निकाला तो मैं दर्द से तड़प उठा। उसने मुझे सानकर खूब पीटा तो मैं दर्द से कराह उठा। जब चाक पर मुझे चलाया गया तब मैंने कुम्हार से कहा कि मुझे बहुत तकलीफ हो रही है तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? तब कुम्हार ने कहा थोड़ी देर रुको फिर बताता हूँ। उसके बाद उसने मुझे गरम भट्टी में डाला तब मैं दर्द से चीख उठा। कुम्हार ने कहा थोड़ी देर और सहो। फिर मेरे ऊपर गरम गरम रंग डाला गया तो मैं असहनीय दर्द से तड़प उठा, लगा जैसे मेरी ज़िंदगी का अंत हो गया, पर कुम्हार ने कहा थोड़ा रुको, थोड़ी देर बाद वह मुझे दर्पण के सामने ले गया, तब अपने खूबसूरत रूप को मैं स्वयं नहीं पहचान पाया।

कहने का तात्पर्य है कि हमें जीवन में कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। ये संघर्ष हमें जीवन जीने की नई दिशा देते है। अपने प्रयासों में हमें कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। जीवन के हर पल को बहुत धैर्य के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए। अपनी कोशिशों को जारी रखते हुए हमेशा अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। 

ज़िन्दगी की सुबह की तरह ही ज़िन्दगी की सांझ और ज़िन्दगी की रातों का भी स्वागत करिये। ठीक उसी प्रकार जैसे सुख के पलों को हमने जीया है वैसे ही दुख के पलों का भी स्वागत करना चाहिए। बग़ैर विचलित हुए, धैर्य के साथ इन पलों में अपने आपको और मजबूत बनाने की कोशिश करना चाहिये। हम अपने अंतर्मन में इतने मजबूत रहे कि कोई भी आंधी हमे डिगा न सके। ऐसा मजबूत वृक्ष बने जिसकी छांव तले लोगो को सुख ही सुख मिले।।

निष्कर्ष- (लेखक  द्वारा )

जब कभी भी आप चुनौतियों  से घबराकर पीछे हटते है तब आपके मार्ग की सबसे बडी बाधा आप स्वयं बन जाते है। किसी मुश्किल समय से लड़कर ही, आप उससे बाहर निकल सकते है किसी चमत्कार से नहीं। मेहनत करे, मेहनत का फल कभी जाया नहीं जाता। जीवन के प्रति खुद का नज़रिया बदलिए जीवन खूबसूरत है। मुसीबत की घड़ी में कुछ पल रुक कर शांत मन से निर्णय ले, हल आपके सामने ही है। 

हिम्मत और उम्मीद का दामन कभी भी न छोड़े ज़िंदगी कभी भी, कही से भी अच्छा मोड़ लेती है और ले सकती है।

कोई भी कष्ट, दुख या संघर्ष आपको आपके बेहतर भविष्य की ओर  ढकेलने के लिये आपके जीवन में आये है, इसीलिए अचूक बाण की तरह अपना लक्ष्य भेदिये और भविष्य की ओर अग्रसर होइये।

याद रखें - पहला कदम लेना ही मुश्किल होता है, उसके बाद का हर कदम अपने आप आसान हो जाता है।

Pragya Sharma Pragyawritingloudly.blogspot.com 

आभार - जीवन चलने का नाम - नवभारत (2009).




Comments

  1. Nice flow of content, inspirational for me, i appreciate this writing

    ReplyDelete
  2. I have read First block by in hindi, its really great.
    Specially the story of a soil to become a diya, it shows your writing skills, which I must have to appreciate.
    Keep it up.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank U so much. ☺
      Your appreciation Means a lot 😇. Keep supporting.

      Delete
  3. 💯💛this website is awesome I learn new things 🥰🥰

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन लेख‌।
    keep it up👍

    ReplyDelete
  5. Motivational 👍 keep it up ☺

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

शरद पूर्णिमा विशेष

  "महारास" राधा प्राणशक्ति है, एवं श्री कृष्ण प्राण है। इस प्रकार राधाकृष्ण परस्पर एक ही हैं। श्रीकृष्ण सोलह कलाओं से पूर्ण परब्रम्ह थे। गोपियां / ब्रजबालाएं वास्तव में वेदों की ऋचाएँ थी'। 'गोपियों ने श्रीकृष्ण से कहा - ''आप जन्म - जन्म से हमारे प्राणनाथ हो और श्री राधा की तरह ही हम सबको अपने चरणों मे रखो।'' इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा- "ऐसा ही हो। हे ब्रज देवियो तीन मास व्यतीत होने पर मैं, तुम सब के साथ वृंदावन के सुरम्य रासमंडल मे, महारास का आयोजन करूँगा, तुम लोग मेरे लिए गोलोक से आई हो और मेरे साथ ही गोलोक वापस जाओगी परंतु अभी तुम शीघ्र अपने घर लौट जाओ।" ऐसा कहकर श्री कृष्ण यमुना किनारे बैठ गए तथा सभी गोपियां उन्हें निहार रही थी। एवं श्रीकृष्ण के मुखमंडल के सुधारस को एकटक देखती रही। और अपने - अपने घरों को लौट गई तथा व्यग्रता के साथ तीन माह का अर्थात शरद पूर्णिमा की महारात्रि का इंतज़ार करने लगी। श्रीकृष्ण ने कामदेव का अभिमान तोड़ने के लिए ही गोपियों के साथ महारास का आयोजन किया था तथा श्री कृष्ण ने अपने अधरों से मुरली बजाई तब ब्रज क...

WOMENS SPECIAL

' INTERNATIONAL WOMENS DAY' International Women's Day (IWD) is celebrated on march 08, every year.  Every year IWD come up with new themes for celebration, this year the theme to celebrate IWD 2022 is #BreakTheBias   The United Nation's theme for this year’s observance is  “Gender equality today for a sustainable tomorrow”  in recognition and celebration of the women and girls who are leading the charge on climate change adaptation and response and to honour their leadership and contribution towards a sustainable future. The  IWD 2022   #BreakTheBias  pose with your arms crossed to show your commitment to calling out bias, smashing stereotypes, breaking inequality, and rejecting discrimination . To celebrate the achievements of women today and throughout the history, across the globe,in relation to division, whether it is national, international, ethnic, cultural, linguistic, economic, social or political. And t o tie together women of all different b...

A Curse on Humanity- "RAPE"

  Criminal Law Amendment Act 2013 (Also known as Nirbhaya act )  has been one of the most concrete steps taken by the Indian government to curb violence against women. The Act is deemed to be one of the most important changes that have been made in the existing criminal laws namely the Indian Penal Code, The Code of Criminal Procedure and The Indian Evidence Act. This new Act has expressly recognised certain acts as offences which were dealt under related laws. Offences like, acid attack, sexual harassment, voyeurism, stalking have been incorporated into the IPC. On 172nd report of the Law Commission to amend the laws relating to sexual assault in Indian Penal Code - Substitution of new sections i.e., Sections 375,376,376A, 376B, 376C, 376D, 376 E, 509, of the IPC. 375 - rape (not only rape directly but any kind of sexual assault done towards woman by one or the other means) 376 - punishment for rape 376-A - punishment for causing death or resulting in persi...