"जीवन चलने का नाम "
इंसान के जीवन में कई पहलू होते है जिसमे सुख और दुख एक ऐसा पहलू है, जो जीवन चक्र की भांति हमारे जीवन में आता है और जाता है, जीवन में हमेशा सुख ही सुख हो या हमेशा दुख ही दुख हो, ऐसा नहीं होता। हर रात के बाद जिंदगी की सुबह भी आती है, ऐसा ही हमारा जीवन है। जब सुख के पल आते है तो हमे एहसास ही नही होता कि कैसे जीवन के पल बीत रहे है। किंतु ऐसे ही सुखद पलो में जब दुख का एक कांटा भी हमे चुभता है तो हम विचलित हो जाते है। संघर्षो और कठिनाइयों की एक ठोकर हमे विचलित कर देती है।
संघर्ष और कठिनाइयां हमे जीवन में खूबसूरती प्रदान करती है। हम एक पृथक व्यकित्व के मालिक बनते है।
एक दुकान में, एक व्यक्ति जब खूबसूरत मिट्टी के दिये की प्रशंसा करता है, तो मिट्टी का दीया उस व्यक्ति से कहता है कि मेरी इस खूबसूरती की लंबी दास्ताँ है। जब कुम्हार ने मुझे जमीन से खोदकर निकाला तो मैं दर्द से तड़प उठा। उसने मुझे सानकर खूब पीटा तो मैं दर्द से कराह उठा। जब चाक पर मुझे चलाया गया तब मैंने कुम्हार से कहा कि मुझे बहुत तकलीफ हो रही है तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? तब कुम्हार ने कहा थोड़ी देर रुको फिर बताता हूँ। उसके बाद उसने मुझे गरम भट्टी में डाला तब मैं दर्द से चीख उठा। कुम्हार ने कहा थोड़ी देर और सहो। फिर मेरे ऊपर गरम गरम रंग डाला गया तो मैं असहनीय दर्द से तड़प उठा, लगा जैसे मेरी ज़िंदगी का अंत हो गया, पर कुम्हार ने कहा थोड़ा रुको, थोड़ी देर बाद वह मुझे दर्पण के सामने ले गया, तब अपने खूबसूरत रूप को मैं स्वयं नहीं पहचान पाया।
कहने का तात्पर्य है कि हमें जीवन में कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। ये संघर्ष हमें जीवन जीने की नई दिशा देते है। अपने प्रयासों में हमें कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। जीवन के हर पल को बहुत धैर्य के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए। अपनी कोशिशों को जारी रखते हुए हमेशा अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
ज़िन्दगी की सुबह की तरह ही ज़िन्दगी की सांझ और ज़िन्दगी की रातों का भी स्वागत करिये। ठीक उसी प्रकार जैसे सुख के पलों को हमने जीया है वैसे ही दुख के पलों का भी स्वागत करना चाहिए। बग़ैर विचलित हुए, धैर्य के साथ इन पलों में अपने आपको और मजबूत बनाने की कोशिश करना चाहिये। हम अपने अंतर्मन में इतने मजबूत रहे कि कोई भी आंधी हमे डिगा न सके। ऐसा मजबूत वृक्ष बने जिसकी छांव तले लोगो को सुख ही सुख मिले।।
निष्कर्ष- (लेखक द्वारा )
जब कभी भी आप चुनौतियों से घबराकर पीछे हटते है तब आपके मार्ग की सबसे बडी बाधा आप स्वयं बन जाते है। किसी मुश्किल समय से लड़कर ही, आप उससे बाहर निकल सकते है किसी चमत्कार से नहीं। मेहनत करे, मेहनत का फल कभी जाया नहीं जाता। जीवन के प्रति खुद का नज़रिया बदलिए जीवन खूबसूरत है। मुसीबत की घड़ी में कुछ पल रुक कर शांत मन से निर्णय ले, हल आपके सामने ही है।
हिम्मत और उम्मीद का दामन कभी भी न छोड़े ज़िंदगी कभी भी, कही से भी अच्छा मोड़ लेती है और ले सकती है।
कोई भी कष्ट, दुख या संघर्ष आपको आपके बेहतर भविष्य की ओर ढकेलने के लिये आपके जीवन में आये है, इसीलिए अचूक बाण की तरह अपना लक्ष्य भेदिये और भविष्य की ओर अग्रसर होइये।
याद रखें - पहला कदम लेना ही मुश्किल होता है, उसके बाद का हर कदम अपने आप आसान हो जाता है।
Pragya Sharma Pragyawritingloudly.blogspot.com
* आभार - जीवन चलने का नाम - नवभारत (2009).
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ReplyDeleteSpecially the story of a soil to become a diya, it shows your writing skills, which I must have to appreciate.
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