Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2020

उम्मीद से बंधी - ज़िंदगी।

ज़िंदगी हमेशा वहीं लौटना चाहती है जहाँ जाना मुमकिन नहीं होता। जैसे - पुराना घर, बचपन, बचपन का घर, खुशनुमा यादें, पुराने दोस्त,पहला प्यार, बीते दिन..आदि।  ये साल 2020 हर किसी के जीवन में बहुत से अच्छे बुरे , खट्टे मीठे पल लेकर आया। किसी के अपने छीन गया तो किसी के सपने। किसी को नये रिश्तों में बांध गया तो कुछ पुराने तोड़ गया। कोरोना काल के चलते लोगो को दुनिया और ज़िंदगी की सच्चाई दिखा गया, किसी को मजबूर, कमज़ोर किया तो किसी को मजबूत बना गया। लोगो को कम आय, कम साधन में जीने का सहूर सिखा दिया। हर हालात हर मुश्किल के लिए तैयार रहना सिखा दिया। ज़िंदगी कभी भी, कहीं भी, किसी को भी, किसी भी पड़ाव पर ला सकती है। हम जो इस साल के आने और जाने के साक्षी बने, यह साल हम सब को हमेशा याद रहेगा। ज़िन्दगी और हालात कभी भी सिर के बल उलट सकते है। स्वास्थ्य   और अपनों से बड़ा कोई धरोहार नहीं होता। निःस्वार्थ सेवा, मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। एक दूसरे के काम आना ही पुण्य कर्म है। हाथ से रेत की तरह फिसलते साल के कुछ आखिरी क्षण में हम, यही दुआ करते है कि अब आगे सब कुछ अच्छा हो, उम्मीद करते हुए की आने वाला साल हम

जीवन चलने का नाम ..!!

" जीवन चलने का नाम " इंसान के जीवन में कई पहलू होते है जिसमे सुख और दुख एक ऐसा पहलू है, जो जीवन चक्र की भांति हमारे जीवन में आता है और जाता है, जीवन में हमेशा सुख ही सुख हो या हमेशा दुख ही दुख हो, ऐसा नहीं होता। हर रात के बाद जिंदगी की सुबह भी आती है, ऐसा ही हमारा जीवन है। जब सुख के पल आते है तो हमे एहसास ही नही होता कि कैसे जीवन के पल बीत रहे है। किंतु ऐसे ही सुखद पलो में जब दुख का एक कांटा भी हमे चुभता है तो हम विचलित हो जाते है। संघर्षो और कठिनाइयों की एक ठोकर हमे विचलित कर देती है। संघर्ष और कठिनाइयां हमे जीवन में खूबसूरती प्रदान करती है। हम एक पृथक व्यकित्व के मालिक बनते है। एक दुकान में, एक व्यक्ति जब खूबसूरत मिट्टी के दिये की प्रशंसा करता है, तो मिट्टी का दीया उस व्यक्ति से कहता है कि मेरी इस खूबसूरती की लंबी दास्ताँ है। जब कुम्हार ने मुझे जमीन से खोदकर निकाला तो मैं दर्द से तड़प उठा। उसने मुझे सानकर खूब पीटा तो मैं दर्द से कराह उठा। जब चाक पर मुझे चलाया गया तब मैंने कुम्हार से कहा कि मुझे बहुत तकलीफ हो रही है तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? तब कुम्हार ने कहा थोड़ी देर रुको फिर

WHAT ARE HUMAN RIGHTS..?

  The  Protection of Human Rights Act 1993, came into force on the 28th day of September, 1993. An Act to provide for the constitution of a National Human Rights Commission. State Human Rights Commission in States and Human Rights Courts for better protection of Human Rights and for matters connected therewith or incidental thereto. Enacted by the parliament in the forty-fourth year of the Republic of India. ACCORDING TO THE ACT - 3 (d) "human rights" means the rights relating to life, liberty, equality and dignity of the individual guaranteed by the Constitution or embodied in the International Covenants and enforceable by courts in India. 3(e) "Human Rights Court" means the Human Rights Court specified under section 30; 3(f) "International Covenants" means the International Covenant on Civil and Political Rights and the International Covenant on Economic, Social and Cultural Rights adopted by the General Assembly of the United Nations on the